
भगवान गणेशजी का जल में क्यों होता है विसर्जन !!!!
कुछ मान्यताएँ और कारण
12 दिन तक घर के सदस्य की तरह बप्पा की सेवा करने के बाद अनंत चतुर्दशी पर जल में उनका विसर्जन कर दिया जाता है।
महाभारत और महर्षि वेदव्यास का है संबंध !!!
मान्यता है कि गणेशजी ने ही महाभारत ग्रंथ को लिखा था।
महर्षि वेदव्यास ने गणेशजी को लगातार 10 दिन तक महाभारत की कथा सुनाई और गणेशजी ने 10 दिनों तक इस कथा को हूबहू लिखा।
10 के बाद वेदव्यासजी ने जब गणेशजी को छुआ तो देखा कि उनके शरीर का तापमान बहुत बढ़ चुका था। वेदव्यासजी ने उन्हें तुरंत जलकुंड में ले जाकर उनके शरीर के तापमान को शांत किया।
तभी से मान्यता है कि गणेशजी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन किया जाता है।
जीवन मृत्यु चक्र भी है विसर्जन की एक और मान्यता और वजह !!!!!
विसर्जन का नियम इसलिए है कि मनुष्य यह समझ ले कि संसार एक चक्र के रूप में चलता है भूमि पर जिसमें भी प्राण आया है वह प्राणी अपने स्थान को फिर लौटकर जाएगा और फिर समय आने पर पृथ्वी पर लौट आएगा।
विसर्जन का अर्थ है मोह से मुक्ति, आपके अंदर जो मोह है उसे विसर्जित कर दीजिए।
आप बप्पा की मूर्ति को बहुत प्रेम से घर लाते हैं उनकी छवि से मोहित होते हैं लेकिन उन्हें जाना होता है इसलिए मोह को उनके साथ विदा कर दीजिए और प्रार्थना कीजिए कि बप्पा फिर लौटकर आएं, इसलिए कहते हैं गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।
बाल गंगाधर तिलक ने शुरू करवाई सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा!!!!
भारतीय इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है कि महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने यह परंपरा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ देश को एकजुट करने के लिए की थी। उन्हें यह अच्छे से पता था कि भारतीय आस्था के नाम पर एकजुट हो सकते हैं। इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र से गणेश उत्सव का आरंभ किया और फिर वहां गणेश विसर्जन भी किया जाने लगा।
अपने मूल रूप में मिल जाते हैं परमात्मा!!!!
सभी देवी-देवताओं का विसर्जन जल में होता है। जल को नारायण रूप माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है संसार में जितनी मूर्तियां इनमें देवी-देवता और प्राणी शामिल हैं, उन सभी में मैं ही हूं और अंत में सभी को मुझमें ही मिलना है। जल में मूर्ति विसर्जन से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल गए। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है।
गणेश यानी ज्ञान और बुद्धि के देवता!!!!
जल का संबंध ज्ञान और बुद्धि से भी माना गया है जिसके कारक स्वयं भगवान गणेश हैं। जल में विसर्जित होकर भगवान गणेश साकार से निराकार रूप में घुल जाते हैं।
पंच तत्वों में से एक है जल!!!!
जल को पंच तत्वों में से एक तत्व माना गया है जिनमें घुलकर प्राण प्रतिष्ठा से स्थापित गणेश की मूर्ति पंच तत्वों में सामहित होकर अपने मूल स्वरूप में मिल जाती है।


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