( Poem Courtesy: Jayshri Jain )

ज़रा अदब से उठाना
इन बुझे दियों को!
बीती रात इन्होंने सबको
रोशनी दी थी!!
किसी को जला कर
खुश होना अलग बात है!
इन्होंने खुद को जला कर
रोशनी की थी!!
कितनों ने खरीदा सोना!
मैने एक ‘सुई’ खरीद ली!!
सपनों को बुन सकूं!
उतनी ‘डोरी’ खरीद ली!!
सबने बदले नोट!
मैंने अपनी ख्वाहिशे बदल ली!!
‘शौक- ए- जिन्दगी’ कम करके!
‘सुकून-ए-जिन्दगी’ खरीद ली.!
माँ लक्ष्मी से एक ही प्रार्थना है..
धन बरसे या न बरसे..!!!
पर कोई गरीब..!
दो रोटी के लिए न तरसे.!
🪔 अलविदा दीपावली 🪔

