Written by: समरजीत सिंह | Courtesy : ndtv.in | 30 Oct 2024

एक दर्द भरी आत्मकथा: सोनपापड़ी बदनाम हुई दिवाली तेरे लिए
सोनपापड़ी को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. कहीं इसका नाम सोनपापड़ी तो कहीं शोम पापड़ी तो कहीं पतीसा भी है.
दिवाली के मौके पर आज जो मेरी दुर्दशा है उसके बारे में मैं आपसे क्या ही कुछ बयां करूं, लेकिन इतना तो साफ है कि मेरी इस हालत के लिए जिम्मेदार तो आप लोग ही हैं. एक समय होता था जब दिवाली का मतलब ही मैं थीं. दुकानों में मुझे खरीदने के लिए लोगों का तांता लगा होता था. हलवाई जी के पास मेरी इतनी डिमांड होती थी कि वो कई कई दिन तक अपने कारिगरों को छुट्टी तक नहीं दे पाते थे. क्या घर, क्या दफ्तर, क्या मंदिर और क्या ही यार दोस्तों की टोली… हर तरफ लोगों के हाथों में मैं ही मैं थी. मेरी इस लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह मेरा सस्ता और बेहद टिकाऊ होना भी था. लेकिन मैं सपने में भी ये नहीं सोचा था कि महज एक दशक भर में मेरी ये दुर्दशा हो जाएगी कि लोग मुझे गिफ्ट करना तो दूर सबके सामने खरीदने से भी कतराने लगे. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं हूं कौन. तो मैं हूं सोनपापड़ी. वही सोनपापड़ी जो एक समय पर आप सबकी जुबान पर मिठास-सी घुल जाती थी, अब मेरे जायके से नजर बचाकर निकल जाते हैं…
दुख होता है जब लोग मुझे सस्ता समझकर छोड़ देते हैं
मुझे कभी अंदाजा ही नहीं था कि मेरी अच्छाई ही मेरे लिए इतनी घातक साबित होगी कि कोई मुझे खरीदने तक से किनारा काट लेगा. सच कहूं तो अपनी ये हालत देखकर मुझे दुख होता है. दुख तो ये भी है कि लोग मुझे मेरी गुणवत्ता से नहीं बल्कि मेरी कीमत से आंकते हैं. मुझे किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है लेकिन ये देखकर आश्चर्चय होता है कि जब लोग मेरे सामने ही ड्राईफ्रूट्स या काजू कतली को ज्यादा तरजीह देते हैं.
मुझे बनाने के लिए की जाती है कड़ी मेहनत
आप किस्मत वाले हैं कि मैं आपको काजू कतली और दूसरी महंगी मिठाइयों की तुलना में सस्ती मिल जाती हूं. लेकिन मुझे बनाने में भी उतनी ही मेहनत की जाती है जितनी की दूसरी मिठाई को बनाने में. मुझे तैयार करने में बेसन और मैदे का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद मुझमें चाशनी और पिस्ता मिलाया जाता है. साथ ही खरबूज के बूज भी मिलाए जाते हैं. मुझे खास तौर पर उत्तर भारत में पसंद किया जाता है.
अकेले सोनपापड़ी ही नहीं कई नामों से जानी जाती हूं मैं
अगर आपको लगता है कि मैं सिर्फ सोनपापड़ी के नाम से ही जानी जाती हूं तो आप यहां गलत हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में मुझे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे कि कहीं मुझे सोनपापड़ी के नाम से जाना जाता है जबकि कई मुझे शोम पापड़ी कहा जाता है. कई जगह लोग मुझे पतीसा के नाम से भी बुलाते हैं. खैर वो नाम में क्या रखा है . आप जब मुझे खाकर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि मैं कितनी स्वादिष्ट हूं.


