
एक व्यक्ति की नई नई शादी हुई और वो अपनी पत्नी के साथ वापिस आ रहे थे।
रास्ते में वो दोनों एक बड़ी झील को नाव के द्वारा पार कर रहे थे, तभी अचानक एक भयंकर तूफ़ान आ गया ।’
वो आदमी वीर था लेकिन औरत बहुत डरी हुई थी, क्योंकि हालात बिल्कुल खराब थे।
नाव बहुत छोटी थी और तूफ़ान वास्तव में भयंकर था और दोनों किसी भी समय डूब सकते थे।
लेकिन वो आदमी चुपचाप, निश्चल और शान्त बैठा था, जैसे कि कुछ नहीं होने वाला ।
औरत डर के मारे कांप रही थी और वो बोली “क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा” ये हमारे जीवन का आखिरी क्षण हो सकता है ।
ऐसा नहीं लगता कि हम दूसरे किनारे पर कभी पहुंच भी पायेंगे ! अब तो कोई चमत्कार ही हमें बचा सकता है वर्ना हमारी मौत निश्चित है।
औरत फिर बोली – *क्या तुम्हें बिल्कुल डर नहीं लग रहा ? कहीं तुम पागल वागल या पत्थर वत्थर तो नहीं हो, मेंरे बोलने का तुम पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा है ?
वो आदमी खूब हँसा और एकाएक उसने म्यान से तलवार निकाल ली ?
औरत अब और परेशान हो गई कि वो क्या कर रहा था?
तब वो उस तलवार को उस औरत की गर्दन के पास ले आया, इतना पास कि उसकी गर्दन और तलवार के बीच बिल्कुल कम फर्क बचा था, क्योंकि तलवार लगभग उसकी गर्दन को छू रही थी, लेकिन उसे मारने के विचार से नहीं।
वो अपनी पत्नी से बोला “क्या तुम्हें डर लग रहा है” ?
पत्नी खूब हँसी और बोली “जब तलवार तुम्हारे हाथ में है तो मुझे क्या डर” ?
मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो ।
उसने तलवार वापिस म्यान में डाल दी और बोला कि “यही मेरा जवाब है”।
मैं जानता हूं कि भगवान मुझे बहुत प्यार करते हैं और ये तूफ़ान उनके हाथ में है । इसलिए जो भी होगा अच्छा ही होगा।
अगर हम बच गये तो भी अच्छा और अगर नहीं बचे तो भी अच्छा, क्योंकि सब कुछ उस परमात्मा के हाथ में है और वो कभी कुछ भी गलत नहीं कर सकते।
सीख:
हमें हमेशा विश्वास बनाये रखना चाहिए और व्यक्ति को हमेशा उस परमपिता परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिये जो हमें जन्म दिया है, और हमारे पूरे जीवन की रक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं की है। हमलोग उनके विधान के बिरुद्ध कुछ भी नहीं कर सकते।
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है-पर्याप्त है।।

