
मैं पुतला रावण का..
मैं पुतला रावण का
सज रहा हर साल की भांति,
हो गया तैयार फिर से जलने के लिए..
मानव है चालाक बहुत,
है जानता वो भी बेहतर है कि
मैं रहता उसके मानस में हूँ !
अंत ना हो पाया मेरा कभी
चालों से उसकी बखूबी मैं वाकिफ हूँ,
खतरनाक तो फितरत है उसकी,
मुझ से भी है भयावह वो,
धोखा देता जो अपनों को ही,
ठगता रचकर नित रूप नए,
भाइयों से ही करता प्रपंच है
जो मैंने कभी किया नहीं !
हाँ..मर्यादा से था बंधा हुआ,
मार्ग मेरा बेशक गलत था,
किन्तु दिया नहीं धोखा मैंने,
अपने बंधु बांधव को कभी!
हिरासत में मेरी रही जो परस्त्री,
किया बाल ना बांका उसका कभी,
किन्तु मानव आज का हुआ चरित्रहीन,
नजरें बुरी वो रखता और
शील भंग के किस्सों से वो
मशहूर हुआ जा रहा आज खूब है !
..और जलाकर पुतला मेरे नाम का
ताली खूब बजा रहा है !
माना मेरा था मार्ग अधर्म का,
किन्तु इतिहास में वीर वहीं कहलाते हैं,
रन में दर्ज कराएं
जो अपनी विजय की !
संधि मैं भी कर सकता था,
किन्तु निज देश की रक्षा में मैंने,
कुर्बान अपना सर्वस्व कर दिया,
परन्तु मानव हुआ ख़ुदगर्ज आज का,
चंद सिक्कों की खातिर
दलाली राष्ट्र की खूब वो करता है !
धूर्त मानव तभी तो पुतला मेरा,
सहर्ष हर साल जलाता है !
भक्त था, ना होगा मुझ सा,
अहंकार यही था मुझ में,
रचियता था ग्रंथ अनेकों का,
मालिक शिव अपने से
वफ़ादारी निभाने की चाहत
बेहद मैं रखता था,
कठिन कैलाश के जीवन को देख
पीड़ित मैं खुद होता था
भक्ति सेवा में होकर लीन शिव को
सुख लंका में देना चाहता था,
किन्तु मानव आज का बनाता रिश्ते
सोच कर यही कि जाने कब किस से
कैसे क्या और कहा पड़ जाए काम कभी
वफ़ादारी की खाकर कसमें झूठी
दग़ा अपनों को देता है और
पुतला फिर वो हर साल
मूर्ख मेरा ही जलाता है !
मैं रावण बसता मानव मन में,
मार सका ना वो मुझ को कभी,
तभी तो बनता रहता पुतला हर बार,
सदियों से जलाया जा रहा हूँ मैं..!


ravan was great by the way of knowledge but he didnt used his knowledge for good things like helping others and on other side shree Ram always helped his citizens and become a great king who won millions of heart
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So true 🙏
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