
बचपन में बुजुर्गों से एक कहानी सुनते थे कि…
“इंसान 4 पैसे कमाने के लिए मेहनत करता है”
या
“बेटा, कुछ काम करोगे तो 4 पैसे घर में आएँगे “
या
“आज चार पैसे होते तो कोई ऐसे ना बोलता”
आदि-आदि ऐसी बहुत सी बातें हम अक्सर सुनते थे।
आख़िर क्यों चाहिए ये चार पैसे और चार ही क्यों तीन या पाँच क्यों नहीं ? , तीन पैसों में क्या कमी हो जायेगी या पाँच से क्या बढ़ जायेगा ?
आख़िर 4 पैसे ही क्यों ज़रूरी है ???
आइये… समझते हैं कि इन चार पैसों का क्या करना है?
◆ पहला पैसा खाना है।
◆ दूसरे पैसे से पिछला क़र्ज़ उतारना है।
◆ तीसरे पैसे का आगे क़र्ज़ देना है और…
◆ चौथे पैसे को कुएं में डालना है।
4 पैसों का गुढ़ रहस्य थोड़ा और विस्तार से समझते हैं …
★ खाना :
अर्थात अपना तथा अपने परिवार पत्नी, बच्चों का भरण-पोषण करना, पेट भरने के लिए।
★ पिछला क़र्ज़ उतारना :
अपने माता-पिता की सेवा के लिए उनके द्वारा किए गये हमारे पालन-पोषण क़र्ज़ उतारने के लिए।
★ आगे क़र्ज़ देना :
सन्तान को पढ़ा-लिखा कर क़ाबिल बनाने के लिए ताकि आगे वृद्धावस्था में वे आपका ख़्याल रख सके।
★ कुएं में डालने के लिए :
अर्थात शुभ कार्य करने के लिए दान, सन्त सेवा, असहायों की सहायता करने के लिए, यानि निष्काम सेवा करना, क्योंकि हमारे द्वारा किए गये इन्ही शुभ कर्मों का फल हमें इस जीवन के बाद मिलने वाला है।
इन कार्यों के लिए हमें चार पैसों की ज़रूरत पड़ती है, यदि तीन पैसे रह गए तो कार्य पूरे नहीं होंगे और पाँचवे पैसे की ज़रूरत ही नहीं है। यही है 4 पैसों का कहने का रहस्य और गणित॥



Very nice!
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