
भारत की सबसे बड़ी पहचान है सांस्कृतिक , आध्यात्मिक , भाषाई और धार्मिक विविधता ।
इन विविधताओं को एक माला में गूँथ कर इस तरह संजोना एवं सजाना की हर एक रंग एक अलग ही छटा बिखेरे , यह सिर्फ भारत में ही संभव है । फिर ये विविधताएँ एक दूसरे से मिल कर एक इंद्रधनुष का निर्माण करती है जिसकी आभा दूर दूर तक दिखाई देती है ।
विश्व गुरु कहे जाने वाला भारत दुनिया का सबसे पुराना देश है । दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता सिंधु सभ्यता की उत्पत्ति यहाँ हुई है जिसको एक उन्नत सभ्यता माना जाता है। भारत ही एक ऐसा देश है जहां बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है लिखी जाती है लगभग यहां 1600 से भी अधिक भाषाएं मौजूद है.
आविष्कार के मामले में , भारत से उत्पत्ति कुछ ऐसे आविष्कार जो भारत ही नहीं पूरी दुनिया आज इस्तेमाल कर रही है ।
- योग का शुरुआत भारत में हुई थी।
- पाई (π) का मान भारत की देन है.
- बटन का आविष्कार भी भारत में हुआ.
- लोहे का आविष्कार भी भारत में हुआ था.
- चीनी (Sugar) का आविष्कार भारत में हुआ था.
- स्याही का आविष्कार भारत में हुआ था.
- चांद पर पानी की खोज भारत ने की थी.
- शून्य (0) का आविष्कार भारत में हुआ था.
- शतरंज का शुरुआत भारत में हुआ था।
- पहिए का आविष्कार भी भारत में हुआ था.
- प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत भारत में हुई थी
भारत में सभ्यता के शुरुआत से ही बहुत सारे ऋषि मुनी, जिन्होंने बहुत सारी चीजों की आविष्कार की थी। हमारे प्राचीन ग्रन्थों में कई शब्द और प्रसंग है, जो ये विश्वास दिलाते हैं :
- यदि हमारे पूर्वजों को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास “विमान” शब्द भी नहीं होता ।
- यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास “विद्युत” शब्द भी नहीं होता ।
- यदि “Telephone” जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, “दूरसंचार” शब्द हमारे पास क्यों है ?
- Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहाँ से आये ?
- Surgery का ज्ञान नहीं था तो, “शल्य चिकित्सा” शब्द कहाँ ये आया ?
- सौरमण्डल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, और बह्ममाण्ड अनन्त है, ये हमारे पूर्वजों को बहुत पहले से पता था।
बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता । ऐसे कई अनगिनत आविष्कारों का वर्णन हमें अपने वेदों में और ग्रन्थों में मिलेगा ।
कुछ उदाहरण :
- परमाणु सिद्धांत : ऋषि कणाद
- विमान : ऋषि भारद्वाज
- रेखागणित / geomatri : ऋषि बौधायन
- खगोलशास्त्र : भास्कराचार्य
- योग और आयुर्वेद : पतंजलि
- चिकित्सा : आचार्य चरक
- प्लास्टिक सर्जरी/शल्य चिकित्सा : महर्षि शुश्रुत
- रसायन शास्त्र : नागार्जुन
- व्याकरण : आचार्य पाणिनी
- विद्युत : महर्षि अगस्त्य
अंग्रेज़ जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होंने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा। 17 -18 सदी के पहले कोई आविष्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेज़ों ने अविष्कार करे।
भारत से केवल पैसे की ही लूट नहीं हुयी, ज्ञान की भी लूट हुयी है।
वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक हैं ।


