
हिंदू परम्पराओं में बहुत से ऐसे रीति-रिवाज हैं जिनके वैज्ञानिक आधार हैं।
कान छिदवाने की परम्परा:
इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है। डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
माथे पर कुमकुम/तिलक:
आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से दबाव पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त पहुँचाने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है
जमीन पर बैठकर भोजन:
पाल्थी मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस प्रकार बैठने से मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इंसान की नाभि से जठराग्नि होती है। जमीन पर बैठकर खाना खाने से जठराग्नि तेज हो जाती है व खाना जल्दी पच जाता है। इस तरह बैठकर खाए गए खाने का पूरा फायदा शरीर को मिलता है।
हाथ जोड़कर नमस्ते करना:
जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्ति को हम लंबे समय तक याद रख सकें।
भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से:
जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है। तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
पीपल की पूजा:
इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं। पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है।
दक्षिण की तरफ सिर करके सोना:
जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।
सूर्य नमस्कार:
पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
सिर पर चोटी :
जिस जगह चोटी रखी जाती है वहाँ दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं। इससे सहस्रार चक्र जाग्रत रहता है और बुद्धि, मन व शरीर पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है।
पैर की उंगली में अंगूठी पहनना
भारतीय संस्कृति मेंअमूमन अंगूठी को पैर के अंगूठे के बगल वाली दूसरी उंगली में धारण किया जाता है। इस उंगली की नस महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध रखती हैं। पैर की उंगली में अंगूठी पहनने से गर्भाशय और दिल से संबंधित बीमारियों की गुंजाइश नहीं रहती है। साथ ही चांदी की अंगूठी ध्रुवीय ऊर्जा से शरीर को ऊर्जावान बनाती है।
मंदिर में घंटे या घंटियां
मंदिर में घंटे या घंटियों की आवाज कानों में पड़ते ही आध्यात्मिक अनुभूति होती है। इससे एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है और मन शांत हो जाता है। घंटे की आवाज भगवान को प्रिय होती है। जब हम मंदिर में घंटा बजाते है तो करीब सात सेकेंड तक हमारे कानों में उसकी प्रतिध्वनि गूंजती है। माना जाता है कि घंटे की ध्वनि से हमारे शरीर में मौजूद सुकून पहुंचाने वाले सात बिंदू सक्रिय हो जाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा शरीर से बाहर हो जाती है ।
तुलसी का पौधा
तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि अपने आप में संपूर्ण औषधीय गुणों से युक्त जड़ी-बूटी है। घर में तुलसी लगाने से कीड़े-मकोड़े यहां तक की सांप भी घर में नहीं भटकते है। प्रतिदिन तुलसी का सेवन करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। तुलसी शरीर के लिए बेहतरीन नैचुरल एंटीबॉयोटिक है ।

