(कहानी)

ये बात अमेरिका की हैं, जब वहाँ एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा। उस पर तमाम बहुत सा कर्ज चढ़ गया, उसे उसकी तमाम जमीन जायदाद गिरवी रखना पड़ी। सभी दोस्तों तक ने भी मुंह फेर लिया, जाहिर हैं जीवन मे वह बहुत ही हताश था। कही से कोई राह नहीं सूझ रही थी। आशा की कोई भी किरण दिखाई नहीं देती थी।
एक दिन जब वह एक बगीचे में बैठा अपनी परिस्थितियो पर चिंता कर रहा था। तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे जो अपने कपड़ो से और चेहरे से वे काफी अमीर लग रहे थे। बुजुर्ग ने उस युवक से उसकी चिंता का कारण पूछा तो उसने उन्हें अपनी सारी कहानी बता दी।
बुजुर्ग बोले – “चिंता मत करो नौजवान मेरा नाम John D Rockefeller है। मैं तुम्हे जानता तो नहीं पर तुम मुझे सच्चे और ईमानदार लग रहे हो। इसलिए मैं तुम्हे दस लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूँ”। फिर उस बुजुर्ग ने जेब से चेक बुक निकाल कर उसमे रकम दर्ज की और उस युवक को देते हुए बोले, “नौजवान, आज से ठीक एक साल बाद हम ठीक इसी जगह मिलेंगे। तब तुम मेरा पूरा कर्ज चुका देना” बस इतना सा कहकर वो चले गए।
वो युवक बहुत ही अचंभित था क्यों की Rockefeller तब अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक थे। युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था की उसकी लगभग सारी मुश्किल हल हो गयी। उसके पैरो को मानो जैसे पंख लग गये।
घर पहुंचकर वह अपने कर्जो का हिसाब लगाने लगा। बीसवी सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी और आज भी है।
अचानक उसके मन में ख्याल आया। उसने सोचा एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझपर इतना भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ। यह ख्याल आते ही उसने उस चेक को संभाल कर रख लिया। उसने निश्चय कर लिया की पहले वह अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश करेगा, पूरी मेहनत करेगा की इस मुश्किल से निकल जाए। उसके बाद भी अगर कोई चारा न बचेगा, तब वह उस चेक का उपयोग करेगा।
उस दिन के बाद युवक ने खुद को पूरी तरह से अपने काम मे झोंक दिया। उसकी बस एक ही धुन थी, की किसी तरह सारे कर्ज चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं। धीरे-धीरे उसकी कोशिशे रंग लाने लगी। उसका कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगा।
साल भर बाद तो वो पहले से भी कई अच्छी स्तिथि में था। निर्धारित दिन ठीक समय वह बगीचे में पहुँच गया। वह चेक लेकर Rockefeller की राह देख रहा था, की उसे वो बुजुर्ग दूर से आते दिखे जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी ही श्रद्धा से उनका अभिवादन किया।
उनकी ओर चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था की एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मारकर उस वृद्ध को पकड़ लिया। वह युवक हैरान रह गया।
नर्स बोली, “यह पागल बार-बार पागलखाने से भाग जाता हैं और लोगो को Rockefeller के रूप में चेक बाँटता फिरता हैं”।
अब तो वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान व अचंभित रह गया, की जिस चेक के बल पर उसने अपना पूरा डूबता कारोबार फिर से खड़ा किया, वह तो खुद ही फर्जी था।
पर इससे यह बात जरुर साबित हुई की वास्तविक जीत हमारे इरादे, हौंसले और प्रयास में ही होती हैं। हम सभी यदि खुद पर विश्वास रखे तो यक़ीनन हम ख़ुद ही अपने आप में किसी भी असुविधा, हालात या परिस्थिति से निपट सकते है।
इसलिए “हमेशा हँसते रहिये, एक दिन ज़िंदगी भी आपको परेशान करते करते थक जाएगी ।


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