
महाभारत और रामायण समझने और देखने का मौका मिला..
कुछ दृष्टान्तो तथा कुछ घटनायों ने मुझे देवतायों और मनुष्य जीवन के बारे में कुछ सोचने पर मजबुर किया और विचलित भी किया…..!!
[१] वरदान,
[२] श्राप ,
[३] वचन,
[४] प्रतिज्ञा,
[५] घमंड,
[६] क्रोध,
[७] आसक्ति,
[८] लालसा
[९] स्वार्थ
दोनों रामायण और महाभारत की लड़ाईयां या कहिये हमारा सारा जीवन इन नौ शब्दों या कहिये कि इन्ही दोषपूर्ण व्यवहारों के आस पास घुमती है
बिना सोचे समझे दिए हुए वरदान, श्राप और वचन,
बिना सोची हुई प्रतिज्ञा, अतिशय आसक्ति और लालसा ..,
ये जीवन में क्रोध, घमंड, स्वार्थ, दंभ इत्यादि को उत्पन्न करते हैं ,
और यही संसार और मनुष्य के अशांत जीवन तथा विनाश का कारण बनते हैं…!!
इन नौ कर्म या भावनायों से अगर हम दूर हो गए तो जीवन अत्यंत सरल और अर्थपूर्ण हो सकता है… अनावश्यक खुशी और शांती की खोज में भटकना नहीं पड़ेगा.



Yes ..
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